माँ बाजार से लाई थी एक दुपट्टा ( ek duptta ) मोतियों से जड़ा,
उसे रखती थी बहुत संभालकर,
उस दुपट्टे से मैंने मुंह अपना क्या पोंछ लिया,
आज भी रखती है उस दुपट्टे को,
माँ अपने सीने से लगाकर
* * * *
हर रोज दुपट्टा बदल-बदल कर,
अपने सर पर रखतीं हैं मेरी माँ,
वो मोतियो से जड़ा दुपट्टा लेकर,
माँ आज भी सोती रखकर सिरहाने की जगह,
एक से एक दुपट्टा है मेरी माँ के पास,
राम जाने उस दुपट्टे में ऐसा क्या है खास,
जिसको अपनी जान बनाकर रखती है,
उस दुपट्टे को ना सर पर लेती है ,
ना ही किसी को दिखाती है,
ना किसी को छूने देती है,
माँ एक यादगार बनाकर रखती है,
माँ बोलती है मुझको हमेशा,
ये दुपट्टा नहीं है मेरे लिए,
तुम्हारे प्यार से बडा,
माँ बाजार से लाई थी एक दुपट्टा ( ek duptta ) मोतियों से जड़ा,
उसे रखती थी बहुत संभालकर,
उस दुपट्टे से मैंने मुंह अपना क्या पोंछ लिया,
आज भी रखती है उस दुपट्टे को,
माँ अपने सीने से लगाकर
* * * *
मेरे पसीने की कुछ बूंदें,
उस दुपट्टे में क्या समा गई,
जो वर्षों से खामोश पड़ा था,
माँ की ममता का समंदर,
उस समंदर में शोर मचाती लहरें उठा गई,
उस दुपट्टे को माँ दिन में दो-बार,
अपने माथे से लगाती है,
चार-बार अपने आंगन में जाकर,
ठंडी-ठंडी हवा में लहराती है,
मेरा चेहरा लाल-गुलाब हो गया है
जब से मेरे चेहरे पर मेरी माँ के,
प्यार का रंग है चढ़ा,
माँ बाजार से लाई थी एक दुपट्टा ( ek duptta ) मोतियों से जड़ा,
उसे रखती थी बहुत संभालकर,
उस दुपट्टे से मैंने मुंह अपना क्या पोंछ लिया,
आज भी रखती है उस दुपट्टे को,
माँ अपने सीने से लगाकर
* * * *
मैंने पूछा लिया एक दिन माँ से धीमी आवाज में,
अब दो पर्दा हटा दीजिए माँ,
अपने मोतियों वाले दुपट्टे के राज से,
ये दुपट्टा क्यों है सबसे न्यारा माँ,
आपको ये दुपट्टा क्यों है सबसे प्यारा माँ,
उसे क्यों रखती हो सबसे छूपाकर,
माँ हर पल क्यों रखती हो ,
एक आम दुपट्टे को सबसे खास बनाकर,
तुम क्या जानो एक माँ का दिल,
जीवन दांव पर लगाकर मिलते हैं ये मीठे पल,
ये मीठे पल हमेशा रहेंगे,
मेरे दिल में घर बनाकर,
माँ बाजार से लाई थी एक दुपट्टा ( ek duptta ) मोतियों से जड़ा,
उसे रखती थी बहुत संभालकर,
उस दुपट्टे से मैंने मुंह अपना क्या पोंछ लिया,
आज भी रखती है उस दुपट्टे को,
माँ अपने सीने से लगाकर
* * * *
एक दुपट्टा ( ek duptta ) मोतियों से जड़ा : सहेज कर रखा माँ ने\

मोतियों वाला दुपट्टा तो एक बहाना है,
तुम ने उस दुपट्टे से पोंछा था
पहली बार अपना प्यारा-सा मुंह,
मेरे लिए वो दुपट्टा एक कीमती खजाना है,
कंई माताओं का दामन इस खजाने से खाली है ,
कंई माताओं के चेहरे पर इस खजाने से लाली है,
आपने सोलह अन्ने सच कहा है माँ ,
लाल रंग मेरे चेहरे का देखकर,
मोतियों वाला दुपट्टा भी बोल पड़ा,
माँ बाजार से लाई थी एक दुपट्टा ( ek duptta ) मोतियों से जड़ा,
उसे रखती थी बहुत संभालकर,
उस दुपट्टे से मैंने मुंह अपना क्या पोंछ लिया,
आज भी रखती है उस दुपट्टे को,
माँ अपने सीने से लगाकर
* * * *
मेरे लिए सबसे उपर है तुम्हारा प्यार,
ऐसे दुपट्टे तुम पर क़ुर्बान हैं हजार,
मोतियों से जड़े दुपट्टे की कीमत,
तुम्हारे पसीने से ज्यादा नहीं है ,
वो दुपट्टा है मुझे जान से प्यारा,
मेरा ऐसा कोई वादा नहीं,
तुम्हारे पसीने को मिट्टी में गिरने से पहले,
हर बार नए दुपट्टे से पोंछ दूं,
इस चाँद से चेहरे का पसीना,
हर बार नए दुपट्टे से पोंछ दूं,
इस दुपट्टे में तुम्हारे पसीने का रंग है चढ़ा,
माँ बाजार से लाई थी एक दुपट्टा ( ek duptta ) मोतियों से जड़ा,
उसे रखती थी बहुत संभालकर,
उस दुपट्टे से मैंने मुंह अपना क्या पोंछ लिया,
आज भी रखती है उस दुपट्टे को,
माँ अपने सीने से लगाकर
* * * *
तुम्हारे मासूम से चेहरे पर,
हर दिन हवा करूंगी मोतियों वाले दुपट्टे से,
तुम्हारे सर की बुरी बला को दूर करुंगी,
मैं उस मोतियों वाले दुपट्टे से,
तुम्हारे बचपन की हर प्यारी चीज,
मैंने रखी है आज भी संभालकर,
वो लकड़ी का पालना जिस के साथ,
तुम ने चलना सीखा था पहली बार,
वो छोटे-छोटे रंग-बिरंगे कपड़े,
जो तुम ने पहने थे पहली बार,
वो छोटी-छोटी पाँव की चप्पल,
जिसको पहन कर तूं पहली बार हुआ था खड़ा,
माँ बाजार से लाई थी एक दुपट्टा ( ek duptta ) मोतियों से जड़ा,
उसे रखती थी बहुत संभालकर,
उस दुपट्टे से मैंने मुंह अपना क्या पोंछ लिया,
आज भी रखती है उस दुपट्टे को,
माँ अपने सीने से लगाकर
* * * *
creation-राम सैणी
read more sweet poetry
click here–> बेटी की आवाज़ ( beti ki aawaz) : माँ, मुझे भी अपनाओ
click here –> मेरा आधा अंग (Mera aadha ang ) : मेरा अभिमान